चेक बाउंस होने पर कोर्ट कचहरी के चक्कर से बचाना है तो जान लें ये नियम cheque bounce Rule

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cheque bounce Rule: नेट बैंकिंग और यूपीआई में बढ़ते फ्रॉड के कारण लोग पुनः चेक के माध्यम से लेनदेन की ओर लौट रहे हैं। हालांकि, चेक से जुड़े नियमों की पूर्ण जानकारी न होने पर यह भी जोखिम भरा हो सकता है।

कानूनी प्रावधान

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निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के अनुसार चेक बाउंस एक वित्तीय अपराध है। इसमें जुर्माना, जेल या दोनों सजाएं हो सकती हैं। यह एक जमानती अपराध है जिसमें अधिकतम दो वर्ष की सजा का प्रावधान है।

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बाउंस होने के कारण

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चेक बाउंस के प्रमुख कारणों में खाते में अपर्याप्त धनराशि और हस्ताक्षर का मिलान न होना शामिल है। इन स्थितियों में चेक स्वतः अस्वीकृत हो जाता है।

न्यायिक प्रक्रिया

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सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि कोर्ट के अंतिम निर्णय तक आरोपी को जेल नहीं भेजा जा सकता। दोषी पाए जाने पर भी आरोपी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 374(3) के तहत 30 दिनों के भीतर सेशन कोर्ट में अपील कर सकता है।

मुआवजे का प्रावधान

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दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के अंतर्गत पीड़ित को मुआवजा दिलाने का प्रावधान है। कोर्ट मामले की गंभीरता के आधार पर मुआवजे की राशि निर्धारित करती है।

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बचाव के उपाय

चेक जारी करते समय खाते में पर्याप्त राशि सुनिश्चित करें और सही हस्ताक्षर करें। लेनदेन का रिकॉर्ड रखें और चेक की प्राप्ति रसीद अवश्य लें।

चेक बाउंस एक गंभीर वित्तीय अपराध है, जिससे बचने के लिए सभी नियमों का पालन आवश्यक है। साथ ही, कानूनी प्रावधानों की जानकारी रखना भी महत्वपूर्ण है।

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